Sāhityālocana ke siddhāntaLakshmīnārāyaṇa Agravāla, 1949 - 302 strani |
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Zadetki 1–3 od 79
Stran 23
... अथवा ' विश्व - साहित्य ' की वस्तु सिद्ध करने के लिए अपनी लेखनी उठाई और उसके समर्थन में उन्हें नये सिद्धान्त या साहित्यिक ' वादों ' की ...
... अथवा ' विश्व - साहित्य ' की वस्तु सिद्ध करने के लिए अपनी लेखनी उठाई और उसके समर्थन में उन्हें नये सिद्धान्त या साहित्यिक ' वादों ' की ...
Stran 52
... अथवा अनुभूति को वाह्य संकेतों द्वारा अभिव्यक्त करता है और उसकी अनुभूति अनेक वाह्य रूपों में व्यक्त की जा सकती है । शब्दों द्वारा ...
... अथवा अनुभूति को वाह्य संकेतों द्वारा अभिव्यक्त करता है और उसकी अनुभूति अनेक वाह्य रूपों में व्यक्त की जा सकती है । शब्दों द्वारा ...
Stran 104
... अथवा अस्पष्टता है , उसका यह मतलब नहीं कि निरालाजी अथवा महादेवीजी कवि नहीं हैं , अथवा उनकी कला में सच्ची अनुभूति नहीं । हम उन्हें ...
... अथवा अस्पष्टता है , उसका यह मतलब नहीं कि निरालाजी अथवा महादेवीजी कवि नहीं हैं , अथवा उनकी कला में सच्ची अनुभूति नहीं । हम उन्हें ...
Pogosti izrazi in povedi
अथवा अधिक अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आज आदि इन इस प्रकार इसमें इसी उनकी उनके उपन्यास उपन्यासकार उपन्यासों उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ऐसे ओर कर करता है करते हैं करना करने कला कला का कलाकार कवि कविता कहानी का कारण काव्य किया है किसी की की रचना कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या चरित्र चाहिए चित्रण जब जाता है जाती जाय जिस जीवन की जो तक तथा तब तो था दिया दो द्वारा नहीं नहीं है नाटक ने पं० पर परन्तु पात्र पात्रों प्रकृति प्रभाव प्रयोग प्रेम प्रेमचन्द भारत भाव भावना भी मानव यदि यह या रहा रूप में लेखक वह वास्तव में विचार विषय वे श्री संस्कृत सकता सकते सत्य समाज समाजवाद सम्बन्ध साहित्य का साहित्य में सुन्दर सूरदास सृष्टि से सौन्दर्य स्थान स्पष्ट हम हमारे हमें हिन्दी में ही हुआ हृदय है और है कि हैं हो होता है होती