Sāhityālocana ke siddhāntaLakshmīnārāyaṇa Agravāla, 1949 - 302 strani |
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Zadetki 1–3 od 68
Stran 73
... आज वासवदत्ता पड़ी है अनाथ । साथ नहीं कोई ; उसका शरीर दुर्गंधित है अंग - अंग सड़ रहा है आज पीप पड़ गई है , व्याधि उपजी है ऐसी कि , आते ...
... आज वासवदत्ता पड़ी है अनाथ । साथ नहीं कोई ; उसका शरीर दुर्गंधित है अंग - अंग सड़ रहा है आज पीप पड़ गई है , व्याधि उपजी है ऐसी कि , आते ...
Stran 117
... आज का कवि साहित्य एवं कला की साधना को ओर उतनी एकाग्रता तथा तन्मयता के साथ प्रवृत नहीं है , जिस प्रकार सूर , तुलसी आज देश के वातावरण ...
... आज का कवि साहित्य एवं कला की साधना को ओर उतनी एकाग्रता तथा तन्मयता के साथ प्रवृत नहीं है , जिस प्रकार सूर , तुलसी आज देश के वातावरण ...
Stran 174
... आज जब प्रेमचन्द हमारे बीच में नहीं हैं , हमारा यह कर्त्तव्य है कि हम उनकी कीति में व्यर्थ में कलंक लगाने का दुःसाहस न करें । हमारा ...
... आज जब प्रेमचन्द हमारे बीच में नहीं हैं , हमारा यह कर्त्तव्य है कि हम उनकी कीति में व्यर्थ में कलंक लगाने का दुःसाहस न करें । हमारा ...
Pogosti izrazi in povedi
अथवा अधिक अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आज आदि इन इस प्रकार इसमें इसी उनकी उनके उपन्यास उपन्यासकार उपन्यासों उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ऐसे ओर कर करता है करते हैं करना करने कला कला का कलाकार कवि कविता कहानी का कारण काव्य किया है किसी की की रचना कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या चरित्र चाहिए चित्रण जब जाता है जाती जाय जिस जीवन की जो तक तथा तब तो था दिया दो द्वारा नहीं नहीं है नाटक ने पं० पर परन्तु पात्र पात्रों प्रकृति प्रभाव प्रयोग प्रेम प्रेमचन्द भारत भाव भावना भी मानव यदि यह या रहा रूप में लेखक वह वास्तव में विचार विषय वे श्री संस्कृत सकता सकते सत्य समाज समाजवाद सम्बन्ध साहित्य का साहित्य में सुन्दर सूरदास सृष्टि से सौन्दर्य स्थान स्पष्ट हम हमारे हमें हिन्दी में ही हुआ हृदय है और है कि हैं हो होता है होती