Sāhityālocana ke siddhāntaLakshmīnārāyaṇa Agravāla, 1949 - 302 strani |
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Zadetki 1–3 od 83
Stran 69
... जब तक इस अभि- व्यक्ति में सौंदर्य नहीं होता , तब तक वह कविता नहीं कही जा सकती । जब कवि के मनोभाव सुन्दर , स्पष्ट और तोत्र रूप में अभि ...
... जब तक इस अभि- व्यक्ति में सौंदर्य नहीं होता , तब तक वह कविता नहीं कही जा सकती । जब कवि के मनोभाव सुन्दर , स्पष्ट और तोत्र रूप में अभि ...
Stran 71
... जब आनन्द - विभोर हो जाते हैं तब उनका स्वर संगीतमय हो जाता है । कायल की मीठी कूक और बुलबुल की श्रुतिमधुर चहचहाहट में कितना संगांत भरा ...
... जब आनन्द - विभोर हो जाते हैं तब उनका स्वर संगीतमय हो जाता है । कायल की मीठी कूक और बुलबुल की श्रुतिमधुर चहचहाहट में कितना संगांत भरा ...
Stran 191
... जब मैं खाना परोसने लगी , तो ' श्रया , आया , बस अभी हाल आया ' कह रहे हैं - मगर आते नहीं ! बस इनकी यही प्रकृति मुझे अच्छी नहीं लगती । कितनी ...
... जब मैं खाना परोसने लगी , तो ' श्रया , आया , बस अभी हाल आया ' कह रहे हैं - मगर आते नहीं ! बस इनकी यही प्रकृति मुझे अच्छी नहीं लगती । कितनी ...
Pogosti izrazi in povedi
अथवा अधिक अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आज आदि इन इस प्रकार इसमें इसी उनकी उनके उपन्यास उपन्यासकार उपन्यासों उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ऐसे ओर कर करता है करते हैं करना करने कला कला का कलाकार कवि कविता कहानी का कारण काव्य किया है किसी की की रचना कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या चरित्र चाहिए चित्रण जब जाता है जाती जाय जिस जीवन की जो तक तथा तब तो था दिया दो द्वारा नहीं नहीं है नाटक ने पं० पर परन्तु पात्र पात्रों प्रकृति प्रभाव प्रयोग प्रेम प्रेमचन्द भारत भाव भावना भी मानव यदि यह या रहा रूप में लेखक वह वास्तव में विचार विषय वे श्री संस्कृत सकता सकते सत्य समाज समाजवाद सम्बन्ध साहित्य का साहित्य में सुन्दर सूरदास सृष्टि से सौन्दर्य स्थान स्पष्ट हम हमारे हमें हिन्दी में ही हुआ हृदय है और है कि हैं हो होता है होती