Sāhityālocana ke siddhāntaLakshmīnārāyaṇa Agravāla, 1949 - 302 strani |
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Zadetki 1–3 od 88
Stran 9
... जो मानव हृदय में रसानुभूति की सृष्टि करता है , वह मानव - जीवन को स्पर्श किये बिना कैसे रह सकता है । वस्तुतः साहित्य जीवन के लिए है और ...
... जो मानव हृदय में रसानुभूति की सृष्टि करता है , वह मानव - जीवन को स्पर्श किये बिना कैसे रह सकता है । वस्तुतः साहित्य जीवन के लिए है और ...
Stran 34
... जिसका विवेक - बुद्धि द्वारा प्रत्यक्षीकरण होता है और शिवत्व ही पूर्ण है , जिसकी उपलब्धि नैतिक चेष्टा द्वारा होती है । सौन्दर्य का ...
... जिसका विवेक - बुद्धि द्वारा प्रत्यक्षीकरण होता है और शिवत्व ही पूर्ण है , जिसकी उपलब्धि नैतिक चेष्टा द्वारा होती है । सौन्दर्य का ...
Stran 132
... जो शृंगार करके प्रसन्नतापूर्वक अपने पति आगमन की प्रतीक्षा करती है । ( ३ ) विरहोत्कंठिता - जिसका पति निश्चित अवधि के भीतर न आ सके । ( ४ ) ...
... जो शृंगार करके प्रसन्नतापूर्वक अपने पति आगमन की प्रतीक्षा करती है । ( ३ ) विरहोत्कंठिता - जिसका पति निश्चित अवधि के भीतर न आ सके । ( ४ ) ...
Pogosti izrazi in povedi
अथवा अधिक अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आज आदि इन इस प्रकार इसमें इसी उनकी उनके उपन्यास उपन्यासकार उपन्यासों उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ऐसे ओर कर करता है करते हैं करना करने कला कला का कलाकार कवि कविता कहानी का कारण काव्य किया है किसी की की रचना कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या चरित्र चाहिए चित्रण जब जाता है जाती जाय जिस जीवन की जो तक तथा तब तो था दिया दो द्वारा नहीं नहीं है नाटक ने पं० पर परन्तु पात्र पात्रों प्रकृति प्रभाव प्रयोग प्रेम प्रेमचन्द भारत भाव भावना भी मानव यदि यह या रहा रूप में लेखक वह वास्तव में विचार विषय वे श्री संस्कृत सकता सकते सत्य समाज समाजवाद सम्बन्ध साहित्य का साहित्य में सुन्दर सूरदास सृष्टि से सौन्दर्य स्थान स्पष्ट हम हमारे हमें हिन्दी में ही हुआ हृदय है और है कि हैं हो होता है होती