Sāhityālocana ke siddhāntaLakshmīnārāyaṇa Agravāla, 1949 - 302 strani |
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Zadetki 1–3 od 86
Stran 33
... पर दया दिखाते हुए केवल यह कहेगा कि सौन्दर्य को सभी जानते हैं , उसकी व्याख्या नहीं की जा सकती । जो मानव हृदय को प्रफुल्लित करे , जो ...
... पर दया दिखाते हुए केवल यह कहेगा कि सौन्दर्य को सभी जानते हैं , उसकी व्याख्या नहीं की जा सकती । जो मानव हृदय को प्रफुल्लित करे , जो ...
Stran 157
... पर जोर देते हैं , तब उपन्यास में भो इस पर जोर दिया तो कोई अस्वाभिक बात न होगी । है - उपन्यास में कथोपकथन का प्रयोग तीन उद्देश्यों से ...
... पर जोर देते हैं , तब उपन्यास में भो इस पर जोर दिया तो कोई अस्वाभिक बात न होगी । है - उपन्यास में कथोपकथन का प्रयोग तीन उद्देश्यों से ...
Stran 269
... पर समाज पर , जनता पर धर्माचार्यो ने जो नृशंस अत्याचार किये और उन्हें अज्ञान तथा अंधकार में रखकर उनका जैसा शोषण किया , उसके विरुद्ध ...
... पर समाज पर , जनता पर धर्माचार्यो ने जो नृशंस अत्याचार किये और उन्हें अज्ञान तथा अंधकार में रखकर उनका जैसा शोषण किया , उसके विरुद्ध ...
Pogosti izrazi in povedi
अथवा अधिक अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आज आदि इन इस प्रकार इसमें इसी उनकी उनके उपन्यास उपन्यासकार उपन्यासों उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ऐसे ओर कर करता है करते हैं करना करने कला कला का कलाकार कवि कविता कहानी का कारण काव्य किया है किसी की की रचना कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या चरित्र चाहिए चित्रण जब जाता है जाती जाय जिस जीवन की जो तक तथा तब तो था दिया दो द्वारा नहीं नहीं है नाटक ने पं० पर परन्तु पात्र पात्रों प्रकृति प्रभाव प्रयोग प्रेम प्रेमचन्द भारत भाव भावना भी मानव यदि यह या रहा रूप में लेखक वह वास्तव में विचार विषय वे श्री संस्कृत सकता सकते सत्य समाज समाजवाद सम्बन्ध साहित्य का साहित्य में सुन्दर सूरदास सृष्टि से सौन्दर्य स्थान स्पष्ट हम हमारे हमें हिन्दी में ही हुआ हृदय है और है कि हैं हो होता है होती