Sāhityālocana ke siddhāntaLakshmīnārāyaṇa Agravāla, 1949 - 302 strani |
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Zadetki 1–3 od 44
Stran 155
... पात्रों को स्वतन्त्र छोड़ देता है . और पात्रों के कथोपकथन तथा कार्य - कलाप द्वारा उनके चरित्र का विकास अपने आप होता जाता है ...
... पात्रों को स्वतन्त्र छोड़ देता है . और पात्रों के कथोपकथन तथा कार्य - कलाप द्वारा उनके चरित्र का विकास अपने आप होता जाता है ...
Stran 204
... पात्रों के विषय में पाठक की उत्सुकता को ही बढ़ा सकते हैं । पात्रों के चरित्र का विश्लेषण कहानी के प्रधान पात्र के जीवन के संकट की ...
... पात्रों के विषय में पाठक की उत्सुकता को ही बढ़ा सकते हैं । पात्रों के चरित्र का विश्लेषण कहानी के प्रधान पात्र के जीवन के संकट की ...
Stran 205
... पात्रों का वार्त्तालाप बिलकुल स्वाभाविक और मानवीय होना चाहिये । किसी भी पात्र से कोई ऐसी बात न कहलायी जाय जो पात्र को स्थिति के ...
... पात्रों का वार्त्तालाप बिलकुल स्वाभाविक और मानवीय होना चाहिये । किसी भी पात्र से कोई ऐसी बात न कहलायी जाय जो पात्र को स्थिति के ...
Pogosti izrazi in povedi
अथवा अधिक अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आज आदि इन इस प्रकार इसमें इसी उनकी उनके उपन्यास उपन्यासकार उपन्यासों उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ऐसे ओर कर करता है करते हैं करना करने कला कला का कलाकार कवि कविता कहानी का कारण काव्य किया है किसी की की रचना कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या चरित्र चाहिए चित्रण जब जाता है जाती जाय जिस जीवन की जो तक तथा तब तो था दिया दो द्वारा नहीं नहीं है नाटक ने पं० पर परन्तु पात्र पात्रों प्रकृति प्रभाव प्रयोग प्रेम प्रेमचन्द भारत भाव भावना भी मानव यदि यह या रहा रूप में लेखक वह वास्तव में विचार विषय वे श्री संस्कृत सकता सकते सत्य समाज समाजवाद सम्बन्ध साहित्य का साहित्य में सुन्दर सूरदास सृष्टि से सौन्दर्य स्थान स्पष्ट हम हमारे हमें हिन्दी में ही हुआ हृदय है और है कि हैं हो होता है होती