Sāhityālocana ke siddhāntaLakshmīnārāyaṇa Agravāla, 1949 - 302 strani |
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Zadetki 1–3 od 35
Stran 14
... प्रकृति का चित्रण अपने मनोभावों के प्रकाश में ही करता है । प्रकृति की जो छाप उसके हृदय - पटल पर पड़ जाती है , वह उसी छाप को अधिक तीव्र ...
... प्रकृति का चित्रण अपने मनोभावों के प्रकाश में ही करता है । प्रकृति की जो छाप उसके हृदय - पटल पर पड़ जाती है , वह उसी छाप को अधिक तीव्र ...
Stran 81
... प्रकृति का आलंकारिक प्रयोग भी करते थे । प्रकृति में सभी दृश्यमान जड़- चेतन - जगत् का समावेश है । इससे कवि को अपनी कविता के लिए सभी ...
... प्रकृति का आलंकारिक प्रयोग भी करते थे । प्रकृति में सभी दृश्यमान जड़- चेतन - जगत् का समावेश है । इससे कवि को अपनी कविता के लिए सभी ...
Stran 82
... प्रकृति का वर्णन इसी रूप में किया है- · - - - हिममय परबत पर परति दिन कर प्रभा प्रभात ; प्रकृति परी के उर परयो हेम हार लहरात । नखत- मुकुत ...
... प्रकृति का वर्णन इसी रूप में किया है- · - - - हिममय परबत पर परति दिन कर प्रभा प्रभात ; प्रकृति परी के उर परयो हेम हार लहरात । नखत- मुकुत ...
Pogosti izrazi in povedi
अथवा अधिक अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आज आदि इन इस प्रकार इसमें इसी उनकी उनके उपन्यास उपन्यासकार उपन्यासों उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ऐसे ओर कर करता है करते हैं करना करने कला कला का कलाकार कवि कविता कहानी का कारण काव्य किया है किसी की की रचना कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या चरित्र चाहिए चित्रण जब जाता है जाती जाय जिस जीवन की जो तक तथा तब तो था दिया दो द्वारा नहीं नहीं है नाटक ने पं० पर परन्तु पात्र पात्रों प्रकृति प्रभाव प्रयोग प्रेम प्रेमचन्द भारत भाव भावना भी मानव यदि यह या रहा रूप में लेखक वह वास्तव में विचार विषय वे श्री संस्कृत सकता सकते सत्य समाज समाजवाद सम्बन्ध साहित्य का साहित्य में सुन्दर सूरदास सृष्टि से सौन्दर्य स्थान स्पष्ट हम हमारे हमें हिन्दी में ही हुआ हृदय है और है कि हैं हो होता है होती