Sāhityālocana ke siddhāntaLakshmīnārāyaṇa Agravāla, 1949 - 302 strani |
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Zadetki 1–3 od 42
Stran 159
... प्रयोग इतनी कुशलता से करना चाहिए कि विनोद का व्यंग्य अनुचित न प्रतीत हो , अन्यथा लेखक के पात्र स्वयं पाठकों के हास्य के साधन बन ...
... प्रयोग इतनी कुशलता से करना चाहिए कि विनोद का व्यंग्य अनुचित न प्रतीत हो , अन्यथा लेखक के पात्र स्वयं पाठकों के हास्य के साधन बन ...
Stran 215
... प्रयोग वांछनीय है । शब्दों का प्रयोग बड़ी कुशलता के साथ करना चाहिए । वाक्य छोटे और सार - युक्त हों । लम्बे और सारहीन वाक्यों से शैली ...
... प्रयोग वांछनीय है । शब्दों का प्रयोग बड़ी कुशलता के साथ करना चाहिए । वाक्य छोटे और सार - युक्त हों । लम्बे और सारहीन वाक्यों से शैली ...
Stran 225
... प्रयोग बड़ी नाप - तोल के साथ करना चाहिए । उसमें वाक् ओजस्विता और ... प्रयोग किया जा सकता है । क्योंकि साहित्यिक एवं आलोचनात्मक ...
... प्रयोग बड़ी नाप - तोल के साथ करना चाहिए । उसमें वाक् ओजस्विता और ... प्रयोग किया जा सकता है । क्योंकि साहित्यिक एवं आलोचनात्मक ...
Pogosti izrazi in povedi
अथवा अधिक अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आज आदि इन इस प्रकार इसमें इसी उनकी उनके उपन्यास उपन्यासकार उपन्यासों उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ऐसे ओर कर करता है करते हैं करना करने कला कला का कलाकार कवि कविता कहानी का कारण काव्य किया है किसी की की रचना कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या चरित्र चाहिए चित्रण जब जाता है जाती जाय जिस जीवन की जो तक तथा तब तो था दिया दो द्वारा नहीं नहीं है नाटक ने पं० पर परन्तु पात्र पात्रों प्रकृति प्रभाव प्रयोग प्रेम प्रेमचन्द भारत भाव भावना भी मानव यदि यह या रहा रूप में लेखक वह वास्तव में विचार विषय वे श्री संस्कृत सकता सकते सत्य समाज समाजवाद सम्बन्ध साहित्य का साहित्य में सुन्दर सूरदास सृष्टि से सौन्दर्य स्थान स्पष्ट हम हमारे हमें हिन्दी में ही हुआ हृदय है और है कि हैं हो होता है होती