Sāhityālocana ke siddhāntaLakshmīnārāyaṇa Agravāla, 1949 - 302 strani |
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Zadetki 1–3 od 87
Stran 231
... रूप में और किसी - किसी उपन्यास और कहानी में अश्लील रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया । मोपाँसा प्रकृत्यनुकरणवादी था । उसने अपने ...
... रूप में और किसी - किसी उपन्यास और कहानी में अश्लील रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया । मोपाँसा प्रकृत्यनुकरणवादी था । उसने अपने ...
Stran 237
... रूप में देखते हैं । श्रीसर्वदानन्द वर्मा और श्रीउपेन्द्रनाथ अश्क के उपन्यासों में यथार्थवाद का यही विकृत रूप नारी- विद्रोह के रूप ...
... रूप में देखते हैं । श्रीसर्वदानन्द वर्मा और श्रीउपेन्द्रनाथ अश्क के उपन्यासों में यथार्थवाद का यही विकृत रूप नारी- विद्रोह के रूप ...
Stran 284
... रूप में नहीं बल्कि साधन रूप में ही अधिक लेना चाहिए । उसे अपनी आधुनिक समस्याओं के जटिल रूप के समझने में सहायक के रूप में ही अधिक ...
... रूप में नहीं बल्कि साधन रूप में ही अधिक लेना चाहिए । उसे अपनी आधुनिक समस्याओं के जटिल रूप के समझने में सहायक के रूप में ही अधिक ...
Pogosti izrazi in povedi
अथवा अधिक अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आज आदि इन इस प्रकार इसमें इसी उनकी उनके उपन्यास उपन्यासकार उपन्यासों उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ऐसे ओर कर करता है करते हैं करना करने कला कला का कलाकार कवि कविता कहानी का कारण काव्य किया है किसी की की रचना कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या चरित्र चाहिए चित्रण जब जाता है जाती जाय जिस जीवन की जो तक तथा तब तो था दिया दो द्वारा नहीं नहीं है नाटक ने पं० पर परन्तु पात्र पात्रों प्रकृति प्रभाव प्रयोग प्रेम प्रेमचन्द भारत भाव भावना भी मानव यदि यह या रहा रूप में लेखक वह वास्तव में विचार विषय वे श्री संस्कृत सकता सकते सत्य समाज समाजवाद सम्बन्ध साहित्य का साहित्य में सुन्दर सूरदास सृष्टि से सौन्दर्य स्थान स्पष्ट हम हमारे हमें हिन्दी में ही हुआ हृदय है और है कि हैं हो होता है होती