Sāhityālocana ke siddhāntaLakshmīnārāyaṇa Agravāla, 1949 - 302 strani |
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Stran 96
... सत्य कविता में सत्य से क्या प्रयोजन है , इस पर विचार करना अत्यन्त आवश्यक है । कुछ लोगों का यह विचार है कि कविता में सत्यता का ...
... सत्य कविता में सत्य से क्या प्रयोजन है , इस पर विचार करना अत्यन्त आवश्यक है । कुछ लोगों का यह विचार है कि कविता में सत्यता का ...
Stran 161
... सत्य का दर्शन नहीं करा सकेंगी , अतः सत्य - दर्शन के लिए हमें विशुद्ध आत्मा , विमल हृदय और सत्यासत्य की निर्णायक बुद्धि की अपेक्षा है ...
... सत्य का दर्शन नहीं करा सकेंगी , अतः सत्य - दर्शन के लिए हमें विशुद्ध आत्मा , विमल हृदय और सत्यासत्य की निर्णायक बुद्धि की अपेक्षा है ...
Stran 162
... सत्य होता है । हम ग्रामों में किसानों की जो करुणा - जनक दशा देखते ... सत्य के ऊपर जो आवरण है , उसे एक ओर हटा कर हमें उसका पूर्ण रूप से ...
... सत्य होता है । हम ग्रामों में किसानों की जो करुणा - जनक दशा देखते ... सत्य के ऊपर जो आवरण है , उसे एक ओर हटा कर हमें उसका पूर्ण रूप से ...
Pogosti izrazi in povedi
अथवा अधिक अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आज आदि इन इस प्रकार इसमें इसी उनकी उनके उपन्यास उपन्यासकार उपन्यासों उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ऐसे ओर कर करता है करते हैं करना करने कला कला का कलाकार कवि कविता कहानी का कारण काव्य किया है किसी की की रचना कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या चरित्र चाहिए चित्रण जब जाता है जाती जाय जिस जीवन की जो तक तथा तब तो था दिया दो द्वारा नहीं नहीं है नाटक ने पं० पर परन्तु पात्र पात्रों प्रकृति प्रभाव प्रयोग प्रेम प्रेमचन्द भारत भाव भावना भी मानव यदि यह या रहा रूप में लेखक वह वास्तव में विचार विषय वे श्री संस्कृत सकता सकते सत्य समाज समाजवाद सम्बन्ध साहित्य का साहित्य में सुन्दर सूरदास सृष्टि से सौन्दर्य स्थान स्पष्ट हम हमारे हमें हिन्दी में ही हुआ हृदय है और है कि हैं हो होता है होती