Sāhityālocana ke siddhāntaLakshmīnārāyaṇa Agravāla, 1949 - 302 strani |
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Zadetki 1–3 od 60
Stran 273
... समाज - वर्ग - हीन समाज के कल्याण को अपना लक्ष्य मानती है । समाजवाद सदाचार से शून्य नहीं है और न वह पाशविक बल एवं हिंसा पर ही टिका हुआ ...
... समाज - वर्ग - हीन समाज के कल्याण को अपना लक्ष्य मानती है । समाजवाद सदाचार से शून्य नहीं है और न वह पाशविक बल एवं हिंसा पर ही टिका हुआ ...
Stran 281
... समाज है । समाज की प्रत्येक इकाई समग्र समाज के साथ अविच्छिन्न सूत्र में प्रथित रहने पर भी अपने आप में पूर्ण है । इसलिए इन दोनों ...
... समाज है । समाज की प्रत्येक इकाई समग्र समाज के साथ अविच्छिन्न सूत्र में प्रथित रहने पर भी अपने आप में पूर्ण है । इसलिए इन दोनों ...
Stran 284
... समाज को प्रगति के पथ पर ले जाने वाला है ? क्या उससे समाज का कल्याण हो सकेगा ? - इन सब प्रश्नों के उत्तर पर भी विचार करना आवश्यक है ...
... समाज को प्रगति के पथ पर ले जाने वाला है ? क्या उससे समाज का कल्याण हो सकेगा ? - इन सब प्रश्नों के उत्तर पर भी विचार करना आवश्यक है ...
Pogosti izrazi in povedi
अथवा अधिक अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आज आदि इन इस प्रकार इसमें इसी उनकी उनके उपन्यास उपन्यासकार उपन्यासों उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ऐसे ओर कर करता है करते हैं करना करने कला कला का कलाकार कवि कविता कहानी का कारण काव्य किया है किसी की की रचना कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या चरित्र चाहिए चित्रण जब जाता है जाती जाय जिस जीवन की जो तक तथा तब तो था दिया दो द्वारा नहीं नहीं है नाटक ने पं० पर परन्तु पात्र पात्रों प्रकृति प्रभाव प्रयोग प्रेम प्रेमचन्द भारत भाव भावना भी मानव यदि यह या रहा रूप में लेखक वह वास्तव में विचार विषय वे श्री संस्कृत सकता सकते सत्य समाज समाजवाद सम्बन्ध साहित्य का साहित्य में सुन्दर सूरदास सृष्टि से सौन्दर्य स्थान स्पष्ट हम हमारे हमें हिन्दी में ही हुआ हृदय है और है कि हैं हो होता है होती