Sāhityālocana ke siddhāntaLakshmīnārāyaṇa Agravāla, 1949 - 302 strani |
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Zadetki 1–3 od 86
Stran 17
... साहित्य या कला भाव- जगत् में एकता की प्रतिष्ठा करने में सफल हो सकेगा । परन्तु आज का विज्ञान तो साहित्य - मनीषियों की कला - साधना को ...
... साहित्य या कला भाव- जगत् में एकता की प्रतिष्ठा करने में सफल हो सकेगा । परन्तु आज का विज्ञान तो साहित्य - मनीषियों की कला - साधना को ...
Stran 229
... काव्य साकेत तक हम साहित्य में आदर्श की प्रतिष्ठा पाते हैं । परन्तु इसका मतलब यह नहीं कि हमारे साहित्यकारों ने यथार्थ को अवहेलना या ...
... काव्य साकेत तक हम साहित्य में आदर्श की प्रतिष्ठा पाते हैं । परन्तु इसका मतलब यह नहीं कि हमारे साहित्यकारों ने यथार्थ को अवहेलना या ...
Stran 271
... काव्य- साहित्य को प्रगतिशील ही नहीं , उत्थान -मूलक बनाने में उपयोगी सिद्ध होगा । " + ३. तीसरे आक्षेप का उत्तर हमारे प्रथम उत्तर में ...
... काव्य- साहित्य को प्रगतिशील ही नहीं , उत्थान -मूलक बनाने में उपयोगी सिद्ध होगा । " + ३. तीसरे आक्षेप का उत्तर हमारे प्रथम उत्तर में ...
Pogosti izrazi in povedi
अथवा अधिक अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आज आदि इन इस प्रकार इसमें इसी उनकी उनके उपन्यास उपन्यासकार उपन्यासों उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ऐसे ओर कर करता है करते हैं करना करने कला कला का कलाकार कवि कविता कहानी का कारण काव्य किया है किसी की की रचना कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या चरित्र चाहिए चित्रण जब जाता है जाती जाय जिस जीवन की जो तक तथा तब तो था दिया दो द्वारा नहीं नहीं है नाटक ने पं० पर परन्तु पात्र पात्रों प्रकृति प्रभाव प्रयोग प्रेम प्रेमचन्द भारत भाव भावना भी मानव यदि यह या रहा रूप में लेखक वह वास्तव में विचार विषय वे श्री संस्कृत सकता सकते सत्य समाज समाजवाद सम्बन्ध साहित्य का साहित्य में सुन्दर सूरदास सृष्टि से सौन्दर्य स्थान स्पष्ट हम हमारे हमें हिन्दी में ही हुआ हृदय है और है कि हैं हो होता है होती