Sāhityālocana ke siddhāntaLakshmīnārāyaṇa Agravāla, 1949 - 302 strani |
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Zadetki 1–3 od 56
Stran 39
... सुन्दर ' अथवा ' सौन्दर्य ' की व्याख्या कहीं भी नहीं की है । उनका यह मत है- " काव्यकार की वह अभिव्यक्ति , जो उसे सुन्दर प्रतीत हुई है और ...
... सुन्दर ' अथवा ' सौन्दर्य ' की व्याख्या कहीं भी नहीं की है । उनका यह मत है- " काव्यकार की वह अभिव्यक्ति , जो उसे सुन्दर प्रतीत हुई है और ...
Stran 41
... सुन्दर नहीं माना गया ? क्या पाश्चात्य कला - मर्मज्ञों ने इन कला ... सुन्दर है , वह सत्य नहीं हो सकता और न सुन्दर शिव ही हो सकता है । वह ...
... सुन्दर नहीं माना गया ? क्या पाश्चात्य कला - मर्मज्ञों ने इन कला ... सुन्दर है , वह सत्य नहीं हो सकता और न सुन्दर शिव ही हो सकता है । वह ...
Stran 42
... सुन्दर के दर्शन कराते हैं यही भक्ति - मार्ग है । और कर्म - काण्ड से वह अचार - शास्त्र के द्वारा शिवत्व की सिद्धि करता है यह कर्म ...
... सुन्दर के दर्शन कराते हैं यही भक्ति - मार्ग है । और कर्म - काण्ड से वह अचार - शास्त्र के द्वारा शिवत्व की सिद्धि करता है यह कर्म ...
Pogosti izrazi in povedi
अथवा अधिक अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आज आदि इन इस प्रकार इसमें इसी उनकी उनके उपन्यास उपन्यासकार उपन्यासों उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ऐसे ओर कर करता है करते हैं करना करने कला कला का कलाकार कवि कविता कहानी का कारण काव्य किया है किसी की की रचना कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या चरित्र चाहिए चित्रण जब जाता है जाती जाय जिस जीवन की जो तक तथा तब तो था दिया दो द्वारा नहीं नहीं है नाटक ने पं० पर परन्तु पात्र पात्रों प्रकृति प्रभाव प्रयोग प्रेम प्रेमचन्द भारत भाव भावना भी मानव यदि यह या रहा रूप में लेखक वह वास्तव में विचार विषय वे श्री संस्कृत सकता सकते सत्य समाज समाजवाद सम्बन्ध साहित्य का साहित्य में सुन्दर सूरदास सृष्टि से सौन्दर्य स्थान स्पष्ट हम हमारे हमें हिन्दी में ही हुआ हृदय है और है कि हैं हो होता है होती