Sāhityālocana ke siddhāntaLakshmīnārāyaṇa Agravāla, 1949 - 302 strani |
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Zadetki 1–3 od 55
Stran 9
... सृष्टि करता है और उसका यही प्रयोजन है । जीवन - संघर्ष में साहित्य हमारे लिए आनन्द की सृष्टि करता है , जिसे अनुभव कर सांसारिक जीवन से ...
... सृष्टि करता है और उसका यही प्रयोजन है । जीवन - संघर्ष में साहित्य हमारे लिए आनन्द की सृष्टि करता है , जिसे अनुभव कर सांसारिक जीवन से ...
Stran 54
... सृष्टि ही उसकी कला का विषय है । यह सम्पूर्ण बाह्य जगत , प्रकृति ... सृष्टि की प्रत्येक वस्तु में सौन्दर्य की सृष्टि कर सकता है । * There ...
... सृष्टि ही उसकी कला का विषय है । यह सम्पूर्ण बाह्य जगत , प्रकृति ... सृष्टि की प्रत्येक वस्तु में सौन्दर्य की सृष्टि कर सकता है । * There ...
Stran 67
... सृष्टि के साथ मनुष्य के रागात्मक सम्बन्ध की रक्षा और निर्वाह होता है । जो कुछ ऊपर कहा गया है उससे स्पष्ट है कि सृष्टि के नाना रूपों ...
... सृष्टि के साथ मनुष्य के रागात्मक सम्बन्ध की रक्षा और निर्वाह होता है । जो कुछ ऊपर कहा गया है उससे स्पष्ट है कि सृष्टि के नाना रूपों ...
Pogosti izrazi in povedi
अथवा अधिक अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आज आदि इन इस प्रकार इसमें इसी उनकी उनके उपन्यास उपन्यासकार उपन्यासों उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ऐसे ओर कर करता है करते हैं करना करने कला कला का कलाकार कवि कविता कहानी का कारण काव्य किया है किसी की की रचना कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या चरित्र चाहिए चित्रण जब जाता है जाती जाय जिस जीवन की जो तक तथा तब तो था दिया दो द्वारा नहीं नहीं है नाटक ने पं० पर परन्तु पात्र पात्रों प्रकृति प्रभाव प्रयोग प्रेम प्रेमचन्द भारत भाव भावना भी मानव यदि यह या रहा रूप में लेखक वह वास्तव में विचार विषय वे श्री संस्कृत सकता सकते सत्य समाज समाजवाद सम्बन्ध साहित्य का साहित्य में सुन्दर सूरदास सृष्टि से सौन्दर्य स्थान स्पष्ट हम हमारे हमें हिन्दी में ही हुआ हृदय है और है कि हैं हो होता है होती