Sāhityālocana ke siddhāntaLakshmīnārāyaṇa Agravāla, 1949 - 302 strani |
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Zadetki 1–3 od 90
Stran 44
... हम अपनी वासनाओं और लालच से हटाकर न देखें तो हम उसे पूर्णतया नहीं देख सकते । अशिक्षित और असंयत होकर हम जिस सौन्दर्य को पूरी तौर पर ...
... हम अपनी वासनाओं और लालच से हटाकर न देखें तो हम उसे पूर्णतया नहीं देख सकते । अशिक्षित और असंयत होकर हम जिस सौन्दर्य को पूरी तौर पर ...
Stran 68
... हम सभी लोगों के नेत्रों के विषय हैं । हम इन्हें देखते और इनसे क्षणिक काल के लिए प्रभावित हो जाते हैं । परन्तु कवि हृदय इनके ...
... हम सभी लोगों के नेत्रों के विषय हैं । हम इन्हें देखते और इनसे क्षणिक काल के लिए प्रभावित हो जाते हैं । परन्तु कवि हृदय इनके ...
Stran 161
... हम वास्तव में ज्ञान और भक्ति के द्वारा ही सत्य का दर्शन कर सकते हैं । हम नित्यप्रति वन , पर्वत , सरिता , समुद्र और मानवों के कृत्यों ...
... हम वास्तव में ज्ञान और भक्ति के द्वारा ही सत्य का दर्शन कर सकते हैं । हम नित्यप्रति वन , पर्वत , सरिता , समुद्र और मानवों के कृत्यों ...
Pogosti izrazi in povedi
अथवा अधिक अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आज आदि इन इस प्रकार इसमें इसी उनकी उनके उपन्यास उपन्यासकार उपन्यासों उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ऐसे ओर कर करता है करते हैं करना करने कला कला का कलाकार कवि कविता कहानी का कारण काव्य किया है किसी की की रचना कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या चरित्र चाहिए चित्रण जब जाता है जाती जाय जिस जीवन की जो तक तथा तब तो था दिया दो द्वारा नहीं नहीं है नाटक ने पं० पर परन्तु पात्र पात्रों प्रकृति प्रभाव प्रयोग प्रेम प्रेमचन्द भारत भाव भावना भी मानव यदि यह या रहा रूप में लेखक वह वास्तव में विचार विषय वे श्री संस्कृत सकता सकते सत्य समाज समाजवाद सम्बन्ध साहित्य का साहित्य में सुन्दर सूरदास सृष्टि से सौन्दर्य स्थान स्पष्ट हम हमारे हमें हिन्दी में ही हुआ हृदय है और है कि हैं हो होता है होती