Sāhityālocana ke siddhāntaLakshmīnārāyaṇa Agravāla, 1949 - 302 strani |
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Zadetki 1–3 od 89
Stran 15
Rāmanārāyaṇa Yādavendu. है । नियमित और क्रमबद्ध विचार का नाम विज्ञान है । जब कोई मानव किसी विषय के सम्बन्ध में विवेचन आरम्भ करता है अथवा ...
Rāmanārāyaṇa Yādavendu. है । नियमित और क्रमबद्ध विचार का नाम विज्ञान है । जब कोई मानव किसी विषय के सम्बन्ध में विवेचन आरम्भ करता है अथवा ...
Stran 36
... है । ईश्वर का प्रकटीकरण दो रूपों में होता है - आत्मा तथा प्रकृति में । वस्तु द्वारा भाव ( Idea ) की झलक ही सौंदर्य है । केवल आत्मा और ...
... है । ईश्वर का प्रकटीकरण दो रूपों में होता है - आत्मा तथा प्रकृति में । वस्तु द्वारा भाव ( Idea ) की झलक ही सौंदर्य है । केवल आत्मा और ...
Stran 119
... है और जब मा रोष के क्षणिक आवेश में अपने शिशु को कठोर शब्द कहती है अथवा किसी प्रकार अपना रोष प्रगट करती है , तो वह भी रोने लगता है ...
... है और जब मा रोष के क्षणिक आवेश में अपने शिशु को कठोर शब्द कहती है अथवा किसी प्रकार अपना रोष प्रगट करती है , तो वह भी रोने लगता है ...
Pogosti izrazi in povedi
अथवा अधिक अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आज आदि इन इस प्रकार इसमें इसी उनकी उनके उपन्यास उपन्यासकार उपन्यासों उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ऐसे ओर कर करता है करते हैं करना करने कला कला का कलाकार कवि कविता कहानी का कारण काव्य किया है किसी की की रचना कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या चरित्र चाहिए चित्रण जब जाता है जाती जाय जिस जीवन की जो तक तथा तब तो था दिया दो द्वारा नहीं नहीं है नाटक ने पं० पर परन्तु पात्र पात्रों प्रकृति प्रभाव प्रयोग प्रेम प्रेमचन्द भारत भाव भावना भी मानव यदि यह या रहा रूप में लेखक वह वास्तव में विचार विषय वे श्री संस्कृत सकता सकते सत्य समाज समाजवाद सम्बन्ध साहित्य का साहित्य में सुन्दर सूरदास सृष्टि से सौन्दर्य स्थान स्पष्ट हम हमारे हमें हिन्दी में ही हुआ हृदय है और है कि हैं हो होता है होती