Sāhityālocana ke siddhāntaLakshmīnārāyaṇa Agravāla, 1949 - 302 strani |
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Zadetki 1–3 od 89
Stran 94
Rāmanārāyaṇa Yādavendu. प्रेम - साधना हो , न कि हमारे हृदय में कलुषित भावना का बोजारोप करने वाली हो । जहाँ आवश्यक हो , वहाँ शृङ्गार का भी संयत ...
Rāmanārāyaṇa Yādavendu. प्रेम - साधना हो , न कि हमारे हृदय में कलुषित भावना का बोजारोप करने वाली हो । जहाँ आवश्यक हो , वहाँ शृङ्गार का भी संयत ...
Stran 121
... हो चुकी थी । इस नाट्य शास्त्र में नाट्यकला की उत्पत्ति के विषय में लिखा है- " स्वायंभुव मन्वन्तर के त्रेता के आरम्भ में प्रजा ...
... हो चुकी थी । इस नाट्य शास्त्र में नाट्यकला की उत्पत्ति के विषय में लिखा है- " स्वायंभुव मन्वन्तर के त्रेता के आरम्भ में प्रजा ...
Stran 198
... हो जाना चाहिए जहाँ उसमें तीव्रतम स्थिति पैदा हो गई हो । जिस स्थल पर पहुँचकर पाठक अत्यधिक भावात्मक शक्ति का अनुभव करने लगता है और ...
... हो जाना चाहिए जहाँ उसमें तीव्रतम स्थिति पैदा हो गई हो । जिस स्थल पर पहुँचकर पाठक अत्यधिक भावात्मक शक्ति का अनुभव करने लगता है और ...
Pogosti izrazi in povedi
अथवा अधिक अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आज आदि इन इस प्रकार इसमें इसी उनकी उनके उपन्यास उपन्यासकार उपन्यासों उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ऐसे ओर कर करता है करते हैं करना करने कला कला का कलाकार कवि कविता कहानी का कारण काव्य किया है किसी की की रचना कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या चरित्र चाहिए चित्रण जब जाता है जाती जाय जिस जीवन की जो तक तथा तब तो था दिया दो द्वारा नहीं नहीं है नाटक ने पं० पर परन्तु पात्र पात्रों प्रकृति प्रभाव प्रयोग प्रेम प्रेमचन्द भारत भाव भावना भी मानव यदि यह या रहा रूप में लेखक वह वास्तव में विचार विषय वे श्री संस्कृत सकता सकते सत्य समाज समाजवाद सम्बन्ध साहित्य का साहित्य में सुन्दर सूरदास सृष्टि से सौन्दर्य स्थान स्पष्ट हम हमारे हमें हिन्दी में ही हुआ हृदय है और है कि हैं हो होता है होती