Sāhityika nibandha: uccakoṭi ke 60 maulika sāhityika nibandoṃ kā abhinava saṅgraha

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Aśoka Prakāśana, 1966 - 720 strani

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अतः अधिक अपनी अपने अपभ्रंश अर्थ अलंकार आदि इत्यादि इन इस इस प्रकार इसी उनका उनकी उनके उन्होंने उपन्यास उस उसका उसकी उसके उसे एक एवं ओर कबीर कर करता है करते हैं करना करने कला कवि कविता कवियों कहा का काव्य काव्य का काव्य में किन्तु किया है किसी की कुछ कृष्ण के लिए केवल को कोई गया है गुण चित्रण जब जा सकता जाती जिस जी जीवन तक तत्त्व तथा तो था थी थे दिया दृष्टि से दो दोनों द्वारा ध्वनि नहीं नहीं है नाटक नाम ने पर प्रभाव प्रयोग प्रस्तुत बहुत बात भाव भाषा भी भेद मत माना में भी यदि यह यह है कि यही या युग ये रचना रस राम रीति वस्तु वह विवेचन विषय वे शब्द शैली संस्कृत सकता है सभी सम्बन्ध साहित्य सिद्धान्त से स्पष्ट स्वीकार हम हिन्दी ही हुआ हुए है और है कि हैं होता है होती होते हैं होने

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