Sāhityika nibandha: uccakoṭi ke 60 maulika sāhityika nibandoṃ kā abhinava saṅgrahaAśoka Prakāśana, 1966 - 720 strani |
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Stran 85
... अर्थ है शब्द का अर्थ में वर्तमान होना । शब्द व्यापार के द्वारा अर्थ में वर्तमान रहता है और उसका प्रत्यायन कराया करता है शब्द ...
... अर्थ है शब्द का अर्थ में वर्तमान होना । शब्द व्यापार के द्वारा अर्थ में वर्तमान रहता है और उसका प्रत्यायन कराया करता है शब्द ...
Stran 165
... अर्थ की वक्रता और शब्द की वक्रता ही काव्य में अलंकार मानी जाती है । भामह ने काव्य में रीति भेद स्वीकार नहीं किया है । इनका कहना है ...
... अर्थ की वक्रता और शब्द की वक्रता ही काव्य में अलंकार मानी जाती है । भामह ने काव्य में रीति भेद स्वीकार नहीं किया है । इनका कहना है ...
Stran 166
... अर्थ दूसरे अर्थ की अपेक्षा अधिक अच्छा होने का दावा कर रहा हो । साथ ही शब्दार्थं सन्निवेश ऐसा होना चाहिये जो लोक और शास्त्र में ...
... अर्थ दूसरे अर्थ की अपेक्षा अधिक अच्छा होने का दावा कर रहा हो । साथ ही शब्दार्थं सन्निवेश ऐसा होना चाहिये जो लोक और शास्त्र में ...
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Sāhityika nibandha: uccakoṭi ke 60 maulika sāhityika nibandoṃ kā abhinava ... Śāntisvarūpa Gupta Prikaz kratkega opisa - 1966 |
Pogosti izrazi in povedi
अतः अधिक अपनी अपने अपभ्रंश अर्थ अलंकार आदि इत्यादि इन इस इस प्रकार इसी उनका उनकी उनके उन्होंने उपन्यास उस उसका उसकी उसके उसे एक एवं ओर कबीर कर करता है करते हैं करना करने कला कवि कविता कवियों कहा का काव्य काव्य का काव्य में किन्तु किया है किसी की कुछ कृष्ण के लिए केवल को कोई गया है गुण चित्रण जब जा सकता जाती जिस जी जीवन तक तत्त्व तथा तो था थी थे दिया दृष्टि से दो दोनों द्वारा ध्वनि नहीं नहीं है नाटक नाम ने पर प्रभाव प्रयोग प्रस्तुत बहुत बात भाव भाषा भी भेद मत माना में भी यदि यह यह है कि यही या युग ये रचना रस राम रीति वस्तु वह विवेचन विषय वे शब्द शैली संस्कृत सकता है सभी सम्बन्ध साहित्य सिद्धान्त से स्पष्ट स्वीकार हम हिन्दी ही हुआ हुए है और है कि हैं होता है होती होते हैं होने